Brihaspati Dev Aarti आरती पाठ एक प्रमुख धार्मिक प्रथा है जो हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह ध्यानवान अनुष्ठान है जो भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। आरती का पाठ करने से भक्त अपने ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह एक ऐसा समय होता है जब भक्त अपने मन को ध्यान में ले जाते हैं और अपनी भक्ति का अभिव्यक्ति करते हैं।
बृहस्पति देव आरती | Brihaspati Dev Aarti
जय वृहस्पति देवा,
ऊँ जय वृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊँ,
कदली फल मेवा ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्घार खड़े ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ,
संतन सुखकारी ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
जो कोई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥
Brihaspati Dev Aarti 2
बृहस्पति देव आरती
ओम जय जय बृहस्पति भगवन, मंगल प्रदाता |
जो कोई तुमको ध्याता, सुख संपत्ति पाता ||
ध्यान धारि रघुनाथ किया, मंदोदर लाया |
विवेकी बनकर सुरपति, हर प्रसाद पाया ||
ओम जय जय बृहस्पति भगवन, मंगल प्रदाता |
जो कोई तुमको ध्याता, सुख संपत्ति पाता ||
देव ऋषि मुनि पूजें, नारद ऋषि गाता |
आशुतोष वरदायक, सब दुःख मिटाता ||
ओम जय जय बृहस्पति भगवन, मंगल प्रदाता |
जो कोई तुमको ध्याता, सुख संपत्ति पाता ||
हर कर दुष्टों को हरते, भक्तों का है बल |
अष्ट सिद्धि नवनिधि दाता, सब दुःख का हल ||
ओम जय जय बृहस्पति भगवन, मंगल प्रदाता |
जो कोई तुमको ध्याता, सुख संपत्ति पाता ||
व्रत और पूजा जो करते, मनवांछित फल पाते |
ग्रह बाधा से मुक्ति पाकर, सुख शांति पाते ||
ओम जय जय बृहस्पति भगवन, मंगल प्रदाता |
जो कोई तुमको ध्याता, सुख संपत्ति पाता ||
आरती जो कोई गावे, शुद्ध मन से गाए |
बृहस्पति देव कृपा से, सभी सिद्धि पाए ||
ओम जय जय बृहस्पति भगवन, मंगल प्रदाता |
जो कोई तुमको ध्याता, सुख संपत्ति पाता ||
॥ ओम जय जय बृहस्पति भगवन ॥
Brihaspati Dev Aarti बृहस्पति देव आरती: एक पूर्ण अध्ययन
प्रस्तावना:
आरती एक धार्मिक प्रथा है जो हमें अपने देवताओं के प्रति श्रद्धा और भक्ति का अभिव्यक्ति का माध्यम प्रदान करती है। इस बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने बृहस्पति देव की आरती का अध्ययन किया है।
बृहस्पति देव की आरती उनके शक्तिशाली और प्रेरक स्वरूप की महिमा को गाती है। यह आरती उनके प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है और भक्तों को उनके द्वारा प्राप्त होने वाले आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। बृहस्पति देव की आरती का पाठ करने से भक्तों का मन पवित्र हो जाता है और उन्हें शांति और संतोष की अनुभूति होती है।
आरती के श्लोकों का अध्ययन करने से हमें बृहस्पति देव की महिमा और उनके गुणों का ज्ञान होता है। इससे हमारा मन पवित्रता और सच्चाई की ओर जाता है और हम उन्हें अपने जीवन में उतार सकते हैं। आरती का पाठ करने से हमारा मन पवित्रता और शांति से भर जाता है और हमें अपने ईश्वर के प्रति विश्वास और समर्पण का अनुभव होता है।
बृहस्पति देव: एक परिचय:
Brihaspati Dev Aarti -बृहस्पति देव हिन्दू धर्म के एक प्रमुख ग्रह हैं और विद्या, बुद्धि, धर्म और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।
बृहस्पति देव हिन्दू धर्म के नवग्रहों में से एक हैं। वे ग्रहों के गुरु माने जाते हैं और ज्ञान, धर्म, शिक्षा, विद्या, धर्म की रक्षा, समृद्धि और भक्ति का प्रतीक हैं। वे सभी ग्रहों के मुखिया हैं और सूर्य के परीक्षमा वह उनके परिवार के गुरु हैं। उनका देवी है तारा जो उनकी पत्नी के रूप में पूजी जाती है। बृहस्पति देव को पूजा करने से जीवन में विद्या, धन, और शांति की प्राप्ति होती है।
बृहस्पति देव आरती का महत्व:
Brihaspati Dev Aarti बृहस्पति देव की आरती का पाठ करने से हम उनके कृपालु और आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। यह हमें जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि के प्रति प्रेरित करता है।
बृहस्पति देव की आरती गृहस्थ और विद्यार्थियों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस आरती का गाना और सुनना विद्या और धन की प्राप्ति में सहायक होता है। यह आरती भक्तों को ज्ञान, समृद्धि, धर्म, और भक्ति की प्राप्ति के लिए बृहस्पति देव की कृपा की प्रार्थना करती है। यह आरती रोज़ाना प्रातः और सायंकाल की अर्चना के साथ गाई जाती है और उसका पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
आरती के श्लोक और अर्थ:
बृहस्पति देव की आरती के प्रमुख श्लोकों का अर्थ और महत्व है कि इसके पाठ से हमें बृहस्पति देव के प्रति श्रद्धा और विश्वास में वृद्धि होती है।
बृहस्पति देव आरती का पाठ:
आरती का सही तरीके से पाठ करने के लिए हमें पहले इसके श्लोकों को समझना और फिर ध्यान से पाठ करना चाहिए।
आरती के लाभ और प्रभाव:
बृहस्पति देव की आरती के पाठ से हमें बुद्धि, विद्या, धर्म और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इससे हमारा जीवन सुखमय और समृद्धिपूर्ण बनता है।
Brihaspati Dev Aarti आरती गाने के कई लाभ और प्रभाव होते हैं:
- मन को शांति देना।
- ध्यान केंद्रित करना।
- भक्ति और श्रद्धा का विकास।
- अंतरंग चैन और सुख का अनुभव।
- दिव्यता के साथ संबंध बनाना।
Brihaspati Dev Aarti आरती के प्रकार:
बृहस्पति देव की आरती का पाठ रोजाना किया जाना चाहिए और इसे विशेष अवसरों और समारोहों में भी किया जा सकता है।
Brihaspati Dev Aarti बृहस्पति देव की कृपा:
बृहस्पति देव की कृपा से हमें बुद्धि, विद्या और समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति हमें सफलता की ओर ले जाती है।
निष्कर्ष:
बृहस्पति देव की आरती का पाठ हमें उनके प्रति विश्वास और श्रद्धा में वृद्धि करता है और हमें समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में सहायता प्रदान करता है।
Brihaspati Dev Aarti संदर्भ:
- पुराणों और ग्रंथों का उल्लेख