Narayan Stotram नारायण स्तोत्रम् भगवान विष्णु को आराधित करने वाले भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रार्थना है। इस स्तोत्र में भगवान नारायण की महिमा, उनके अनंत गुण, और उनके अद्वितीय स्वरूप का विवरण है। इसका पाठ करने से भक्त आत्मिक ऊर्जा और शांति को प्राप्त करते हैं, और भगवान की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं।
नारायण स्तोत्रं –Narayan Stotram
रचना : आदि शङ्कराचार्य-
ॐ नारायण नारायण जय जय गोविन्द हरे ॥
नारायण नारायण जय जय गोपाल हरे ॥
करुणापारावार वरुणालयगम्भीर नारायण ॥ 1 ॥
घननीरदसङ्काश कृतकलिकल्मषनाशन नारायण ॥ 2 ॥
यमुनातीरविहार धृतकौस्तुभमणिहार नारायण ॥ 3 ॥
पीताम्बरपरिधान सुरकल्याणनिधान नारायण ॥ 4 ॥
मञ्जुलगुञ्जाभूष मायामानुषवेष नारायण ॥ 5 ॥
राधाधरमधुरसिक रजनीकरकुलतिलक नारायण ॥ 6 ॥
मुरलीगानविनोद वेदस्तुतभूपाद नारायण ॥ 7 ॥
बर्हिनिबर्हापीड नटनाटकफणिक्रीड नारायण ॥ 8 ॥
वारिजभूषाभरण राजीवरुक्मिणीरमण नारायण ॥ 9 ॥
जलरुहदलनिभनेत्र जगदारम्भकसूत्र नारायण ॥ 10 ॥
पातकरजनीसंहार करुणालय मामुद्धर नारायण ॥ 11 ॥
अघ बकहयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे नारायण ॥ 12 ॥
हाटकनिभपीताम्बर अभयं कुरु मे मावर नारायण ॥ 13 ॥
दशरथराजकुमार दानवमदसंहार नारायण ॥ 14 ॥
गोवर्धनगिरि रमण गोपीमानसहरण नारायण ॥ 15 ॥
सरयुतीरविहार सज्जनऋषिमन्दार नारायण ॥ 16 ॥
विश्वामित्रमखत्र विविधवरानुचरित्र नारायण ॥ 17 ॥
ध्वजवज्राङ्कुशपाद धरणीसुतसहमोद नारायण ॥ 18 ॥
जनकसुताप्रतिपाल जय जय संस्मृतिलील नारायण ॥ 19 ॥
दशरथवाग्धृतिभार दण्डक वनसञ्चार नारायण ॥ 20 ॥
मुष्टिकचाणूरसंहार मुनिमानसविहार नारायण ॥ 21 ॥
वालिविनिग्रहशौर्य वरसुग्रीवहितार्य नारायण ॥ 22 ॥
मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर नारायण ॥ 23 ॥
जलनिधि बन्धन धीर रावणकण्ठविदार नारायण ॥ 24 ॥
ताटकमर्दन राम नटगुणविविध सुराम नारायण ॥ 25 ॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन नारायण ॥ 26 ॥
सम्भ्रमसीताहार साकेतपुरविहार नारायण ॥ 27 ॥
अचलोद्धृतचञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर नारायण ॥ 28 ॥
नैगमगानविनोद रक्षित सुप्रह्लाद नारायण ॥ 29 ॥
भारत यतवरशङ्कर नामामृतमखिलान्तर नारायण ॥ 30 ॥
Narayan Stotram नारायण स्तोत्रम: भगवान विष्णु के दिव्य सार का आह्वान
परिचय : Narayan Stotram
नारायण स्तोत्रम, भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र भजन है, जो हिंदू आध्यात्मिकता में बहुत महत्व रखता है। ऋषि नारद द्वारा रचित, यह भजन भगवान नारायण के विभिन्न गुणों और रूपों की प्रशंसा करता है, जो संरक्षण और पोषण के सर्वोच्च देवता हैं। इस ब्लॉग में, हम नारायण स्तोत्रम के गहन अर्थ और आध्यात्मिक महत्व का पता लगाते हैं।
नारायण स्तोत्रम का सार | Narayan Stotram
नारायण स्तोत्रम भगवान विष्णु की दिव्य उपस्थिति के सार को समाहित करता है। यह भगवान नारायण को सृष्टि के स्रोत, ब्रह्मांड के पालनहार और भक्तों के लिए अंतिम शरण के रूप में वर्णित करता है। स्तोत्रम का प्रत्येक श्लोक विष्णु के विभिन्न रूपों और गुणों की महिमा करता है, सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए उनके आशीर्वाद का आह्वान करता है।
भक्ति की शक्ति
भक्ति और ईमानदारी के साथ नारायण स्तोत्रम का पाठ करने से भक्त को गहन आशीर्वाद मिल सकता है। यह ईश्वर के साथ व्यक्ति के जुड़ाव को गहरा करता है और शांति, सद्भाव और आंतरिक शक्ति की भावना पैदा करता है। स्तोत्रम आध्यात्मिक ढाल के रूप में कार्य करता है, जो भक्त को नकारात्मक प्रभावों से बचाता है और उन्हें धर्म के मार्ग पर ले जाता है।
Narayan Stotramनारायण स्तोत्रम के श्लोक
यहाँ नारायण स्तोत्रम के कुछ श्लोक दिए गए हैं:
“ओम नमो नारायणाय, विष्णु विश्वम्भराय”
ब्रह्मांड के पालनहार भगवान नारायण को नमस्कार।
“शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्”
मैं भगवान पद्मनाभ को नमन करता हूँ, जो आदिशेष नाग पर लेटे हैं।
“श्रीमन नारायणो विष्णुः, प्रभविष्णु भूतले”
भगवान नारायण, शुभ, अपनी दिव्य उपस्थिति से पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त हैं।
नारायण स्तोत्रम का पाठ करने के लाभ
दिव्य सुरक्षा: नारायण स्तोत्रम के माध्यम से भगवान विष्णु के आशीर्वाद का आह्वान करने से नुकसान और दुर्भाग्य से सुरक्षा मिलती है।
आध्यात्मिक विकास: स्तोत्र आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है, भगवान नारायण के दिव्य सार के साथ एक गहरा संबंध विकसित करता है।
बाधाओं का निवारण: नारायण स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के मार्ग में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों को कम किया जा सकता है, जिससे सुचारू प्रगति सुनिश्चित होती है।
आंतरिक शांति: स्तोत्र के सुखदायक छंद मन और आत्मा को आंतरिक शांति और शांति प्रदान करते हैं।
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निष्कर्ष
नारायण स्तोत्र केवल एक प्रार्थना नहीं है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो भक्तों को ज्ञान और दिव्य अनुभूति की ओर ले जाती है। इस भजन के गहन छंदों के माध्यम से, हम भगवान विष्णु की कृपा और करुणा के असीम सागर में खुद को डुबो देते हैं। नारायण स्तोत्र का जाप हमारे जीवन को भगवान नारायण की दिव्य चमक से रोशन करे और हमें शाश्वत आनंद और पूर्णता के मार्ग पर ले जाए।