दत्तात्रेय स्तोत्र: महिमापूर्ण उपासना आणि अर्थाचे विश्लेषण

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दत्त स्तोत्र मराठी – दत्तात्रेय महाराजांचे प्रस्थान आणि त्यांच्या उपासनेचे महत्त्व अतिशय उच्च आहे.

त्यांच्या स्तोत्राचा वाचन करणे अत्यंत महत्त्वाचं आहे, ज्याने अनेक लोकांच्या जीवनात चमत्कारिक परिणाम दिले आहेत.


Table of Contents

।। दत्तात्रेय स्तोत्र ।।

जटाधरं पाण्डुराङ्गं शूलहस्तं कृपानिधिम् ।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥ १॥

अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारदऋषिः ।
अनुष्टुप् छन्दः । श्रीदत्तपरमात्मा देवता ।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥

जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १॥

जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ २॥

कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ३॥

र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित ।
पञ्चभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ४॥

यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च ।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ५॥

आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ६॥

भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे ।
जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ७॥

दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ८॥

जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने ।
जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ९॥

भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १०॥

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले ।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ११॥

अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १२॥

सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण ।
सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १३॥

शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर ।
यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १४॥

क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १५॥

दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे ।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १६॥

शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् ।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १७॥

इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् ।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ॥ १८॥

॥ इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसम्पूर्णम् ॥


दत्तात्रेय स्तोत्र हिंदी अर्थ

जटाधरं पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिम् । सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ।।

हिंदी अर्थ – पीले वर्ण की आकृति वाले, जटा धारण किए हुए, हाथ में शूल लिए हुए, कृपा के सागर और समस्त रोगों का शमन करने वाले देवस्वरूप दत्तात्रेय जी का मैं आश्रय लेता हूँ।

विनियोग – अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारद ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द:, श्रीदत्त: परमात्मा देवता, श्रीदत्तप्रीत्यर्थं जपे विनियोग: ।

हिंदी अर्थ – इस दत्तात्रेयस्तोत्र रूपी मन्त्र के रचियता ऋषि नारद हैं, छन्द अनुष्टुप है और परमेश्वर-स्वरूप दत्तात्रेय जी इसके देवता हैं। श्रीदत्तात्रेय जी की प्रसन्नता के लिए पाठ में विनियोग किया जाता है।

जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहारहेतवे । भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।1।।

हिंदी अर्थ – संसार के बन्धन से सर्वथा विमुक्त तथा संसार की उत्पत्ति, पालन और संहार के मूल कारण-स्वरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च । दिगम्बर दयामूर्ते दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।2।।

हिंदी अर्थ – जरा और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करने वाले, देह को बाहर-अंदर से शुद्ध करने वाले स्वयं दिगम्बर-स्वरुप, दया के मूर्तिमान विग्रह आप दतात्रेय जी को मेरा प्रणाम है।

कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च । वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।3।।

हिंदी अर्थ – कर्पूर की कान्ति के समान गौर शरीर वाले, ब्रह्माजी की मूर्ति को धारण करने वाले और वेद्-शास्त्र का पूर्ण ज्ञान रखने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

हृस्वदीर्घकृशस्थूलनामगोत्रविवर्जित । पंचभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।4।।

हिंदी अर्थ – अर्थात – कभी ठिगने, कभी लम्बे, कभी स्थूल और कभी दुबले-पतले शरीर धारण करने वाले, नाम-गोत्र से विवर्जित, सिर्फ पंचमहाभूतों से युक्त दीप्तिमान शरीर धारण करने वाले, दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

यज्ञभोक्त्रै च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च । यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।5।।

हिंदी अर्थ – यज्ञ के भोक्ता, यज्ञ-विग्रह और यज्ञ-स्वरूप को धारण करने वाले, यज्ञ से प्रसन्न होने वाले, सिद्धरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा प्रणाम है।

आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देव: सदाशिव: । मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।6।।

हिंदी अर्थ – सर्वप्रथम ब्रह्मारूप, मध्य में विष्णुरूप और अन्त में सदाशिव स्वरूप – इन तीनों स्वरूपों को धारण करने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा प्रणाम है।

भोगालयाय भोगाय योग्ययोग्याय धारिणे । जितेन्द्रिय जितज्ञाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।7।।

हिंदी अर्थ – समस्त सुख्-भोगों के निधानस्वरूप, सभी योग्य व्यक्तियों में भी उत्कृष्ट योग्यतम रूप धारण करने वाले, जितेन्द्रिय तथा जितेन्द्रियों की ही जानकारी में आने वाले आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपधराय च । सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।8।।

हिंदी अर्थ – सदैव दिगम्बर वेषधारी, दिव्यमूर्ति और दिव्यस्वरूप धारण करने वाले, जिन्हें सदा ही परब्रह्म परमात्मा का साक्षात्कार होता है, ऎसे आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

जम्बूद्वीपे महाक्षेत्रे मातापुरनिवासिने । जयमान: सतां देव दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।9।।

हिंदी अर्थ – जम्बूद्वीप के विशाल क्षेत्र के अन्तर्गत मातापुर नामक स्थान में निवास करने वाले, संतों के मध्य सदा प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाले आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे । नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।10।।

हिंदी अर्थ – हाथ में सुवर्णमय भिक्षापात्र धारण किये हुए, ग्राम-ग्राम और घर-घर में भिक्षाटन करने वाले तथा अनेक प्रकार के दिव्य स्वादयुक्त भिक्षा ग्रहण करने वाले आप दत्तात्रेय जी को मेरा प्रमाण है।

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले । प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।11।।

हिंदी अर्थ – ब्रह्मज्ञानयुक्त ज्ञानमुद्रा को धारण करने वाले और आकाश तथा पृथिवी को ही वस्त्ररूप में धारण करने वाले, अत्यन्त ठोस ज्ञानयुक्त बोधमय विग्रह वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

अवधूत सदानन्द परब्रह्मस्वरूपिणे । विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।12।।

हिंदी अर्थ – अवधूत वेष में सदा ब्रह्मानन्द में निमग्न रहने वाले तथा परब्रह्म परमात्मा के ही स्वरूप, शरीर होने पर भी शरीर से ऊपर उठकर जीवन्मुक्तावस्था में स्थित रहने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

सत्यरूप सदाचार सत्यधर्मपरायण । सत्याश्रय परोक्षाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।13।।

हिंदी अर्थ – साक्षात सत्य के रूप, सदाचार के मूर्तिमान स्वरूप और सत्य भाषण तथा धर्माचरण में लीन रहने वाले, सत्य के आश्रय और परोक्ष रूप में परमात्मा तथा दिखायी न पड़ने पर भी सर्वत्र व्याप्त आप दतात्रेय जी को मेरा प्रणाम है।

शूलहस्त गदापाणे वनमालासुकन्धर । यज्ञसूत्रधर ब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।14।।

हिंदी अर्थ – हाथ में शूल और गदा धारण करने वाले, वनमाला से सुशोभित कंधों वाले, यज्ञोपवीत धारण किए हुए ब्राह्मणस्वरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च । दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।15।।

हिंदी अर्थ – क्षर (नश्वर विश्व) और अक्षर (अविनाशी परमात्मा) रूप में सर्वत्र व्याप्त, पर से भी परे, स्तोत्र-पाठ करने पर शीघ्र मोक्ष प्रदान करने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

दत्तविद्याय लक्ष्मीश दत्तस्वात्मस्वरूपिणे । गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।16।।

हिंदी अर्थ – समस्त विद्याओं को प्रदान करने वाले, लक्ष्मी के स्वामी, प्रसन्न होकर आत्मस्वरूप को ही देने वाले, त्रिगुणात्मक एवं गुणों से अतीत निर्गुण अवस्था में रहने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है।

शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् सर्वपापशमं याति दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।17।।

हिंदी अर्थ – यह स्तोत्र बाह्य तथा आभ्यन्तर (काम, क्रोध, मोहादि) सभी शत्रुओं को नष्ट करने वाला, शास्त्रज्ञान तथा अनुभवजन्य अध्यात्मज्ञान – दोनों को प्रदान करने वाला है, इसका पाठ करने से सभी पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं। ऐसे इस स्तोत्र के आराध्य आप दतात्रेय जी को मेरा प्रमाण है।

इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् । दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ।।18।।

हिंदी अर्थ – यह स्तोत्र बहुत दिव्य है। इसके पढ़ने से दत्तात्रेय जी का साक्षात दर्शन होता है। दत्तात्रेय जी के अनुग्रह से ही शक्ति-संपन्न हो कर नारदजी ने इसकी रचना की है।

इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।


दत्तात्रेय स्तोत्राचा मराठी अर्थ 

जटाधरं पांडुरंगं शुल्हस्तं कृपानिधीम् । सर्व रोगांवर भगवान दत्तात्रेयांची पूजा केली जाते.

मराठी अर्थ  – पिवळ्या रंगाचे, केस विणलेले, हातात शूल धारण केलेल्या, कृपेचा सागर आणि सर्व रोगांचा नाश करणारे भगवंताचे रूप असलेल्या दत्तात्रेयजींचा मी आश्रय घेतो.

विनियोग – अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमंत्रस्य भगवान नारद ऋषी, अनुष्टुप छंदः, श्रीदत्तः परम ईश्वर, श्रीदत्तप्रीत्यर्थम् जप विनियोगा.

मराठी अर्थ  – दत्तात्रेय स्तोत्राच्या रूपातील या मंत्राचे लेखक नारद ऋषी आहेत, श्लोक अनुष्टुप आहे आणि दत्तात्रेयजी हे त्याचे दैवत आहेत. श्री दत्तात्रेयजींच्या आनंदासाठी पाठात विनियोग केला जातो.

जगदुत्पत्तीकर्त्रे च स्थितीसंहारेत्वे । भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।

मराठी अर्थ  – जगाच्या बंधनातून पूर्णपणे मुक्त असलेले आणि जगाच्या निर्मितीचे, पालनाचे आणि विनाशाचे मूळ कारण असलेल्या दत्तात्रेयजी तुम्हाला माझा नमस्कार आहे.

जाराजन्माविनाशय देहशुधिक्राय च । दिगंबर दयामूर्ते दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।

मराठी अर्थ  – दत्तात्रेय जी, जे स्वतः दिगंबर स्वरूप आहेत, जे आपल्याला जन्म-मृत्यूच्या फेऱ्यातून मुक्त करतात, शरीराला आतून-बाहेरून शुद्ध करतात, तुम्हाला माझा नमस्कार असो.

कर्पूरकान्तिदेहय ब्रह्ममूर्तिधराय च । वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।3।

मराठी अर्थ  – कापूरच्या तेजाएवढे गोरे शरीर असलेले, ब्रह्मदेवाची मूर्ती धारण करणारे आणि वेद आणि शास्त्रांचे पूर्ण ज्ञान असलेले दत्तात्रेयजी तुम्हाला माझा नमस्कार असो.

हृस्वदीर्घशकृषस्थुलनामगोत्रबर्रविद । पंचभूतैकदीपताय दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।4।

मराठी अर्थ  – अर्थ – ज्यांचे शरीर कधी लहान, कधी उंच, कधी जाड आणि कधी बारीक असते, जे नाम-गोत्रापासून मुक्त असतात, ज्यांचे शरीर केवळ पंचमहाभूतांनी भरलेले असते, अशा दत्तात्रेयजींना मी नमस्कार करतो.

यज्ञभोक्त्राय च यज्ञया यज्ञरूपधाराय च । यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।

मराठी अर्थ  – यज्ञाचा उपभोग घेणारे, यज्ञरूप आणि यज्ञरूप धारण करणारे, यज्ञावर प्रसन्न होणारे, यज्ञाचे परिपूर्ण स्वरूप असलेले दत्तात्रेय जी तुम्हाला मी नमस्कार करतो.

विष्णुरन्ते देव: आदो ब्रह्मात सदाशिव. मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।6।

मराठी अर्थ  – प्रथम ब्रह्मदेवाच्या रूपात, मध्यभागी विष्णूच्या रूपात आणि शेवटी सदाशिव रूपात – हे तीन रूप धारण करणाऱ्या दतात्रेयजींना मी नमस्कार करतो.

भोगलाय भोगाय योग्योग्या धारिने । जितेंद्रिय जितग्य दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।7।

मराठी अर्थ  – सर्व सुखांचे आणि भोगांचे उगमस्थान असलेले, सर्व समर्थ लोकांमध्ये सर्वात समर्थाचे रूप धारण करणारे, केवळ इंद्रिये आणि केवळ इंद्रियांची जाणीव असलेल्या दत्तात्रेयजी तुम्हाला माझा नमस्कार असो.

दिगंबराय दिव्याय दिव्यरूपधाराय च । सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।8।।

मराठी अर्थ  – सदैव दिगंबर पोशाख धारण करणाऱ्या, दिव्य स्वरूप आणि दिव्य रूप असलेले, ज्यांना सदैव परमात्म्याचे दर्शन होते, अशा दत्तात्रेयजींना माझा नमस्कार असो.

जंबुद्वीपे महाक्षेत्र मातापूरवासी । जैमन: संता देव दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।।

मराठी अर्थ  – जंबुद्वीपच्या विस्तीर्ण परिसरात मातापूर नावाच्या ठिकाणी वास्तव्य करणारे आणि संतांमध्ये सदैव प्रतिष्ठा लाभणारे दत्तात्रेयजी तुम्हाला माझा नमस्कार असो.

भिक्षातनम् गृहा ग्राम पत्रां हेमयं करू । नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोस्तु ते।१०।।

मराठी अर्थ  – हातात सुवर्ण भिक्षेची वाटी धारण करणारे, गावोगावी आणि घरोघरी भिक्षा मागणारे आणि अनेक प्रकारची दैवी चवींची भिक्षा स्वीकारणारे दत्तात्रेय जी तुम्हाला माझी साक्ष आहे.

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चकशभुतले । प्रज्ञाघनबोधाय दत्तात्रेय नमोस्तु ते.11.

मराठी अर्थ  – ब्रह्मज्ञानाची ज्ञानमुद्रा असलेल्या आणि आकाश आणि पृथ्वी आपल्या वस्त्रांच्या रूपात धारण करणारे, अत्यंत दृढ ज्ञान असलेले आणि विवेकी प्रतिमा असलेले दतात्रेयजी तुम्हाला माझा नमस्कार असो.

अवधूत सदानंद परब्रह्म स्वरूपीं । विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोस्तु ते ।१२ ।

मराठी अर्थ  – अवधूताच्या वेषात सदैव ब्रह्मानंदात मग्न असलेले आणि देह असूनही देहाच्या वर उठून जीवनात मुक्ती अवस्थेत स्थित असलेले परब्रह्म परमात्म्याचे रूप असलेल्या दत्तात्रेयजी तुम्हाला माझा नमस्कार असो. .

सत्य आचरण, धार्मिकतेची भक्ती. सत्याश्रय परोक्षाय दत्तात्रेय नमोस्तु ते 13.

मराठी अर्थ  – सत्याचे मूर्तिमंत, नैतिकतेचे मूर्तिमंत, सत्य वाणी आणि धार्मिक आचरणात तल्लीन असणारे, सत्याचा आश्रय घेणारे आणि अप्रत्यक्ष रूपात देव असलेले आणि सर्वत्र विराजमान असलेल्या दत्तात्रेयजींना माझा नमस्कार असो. जरी तो दिसत नाही.

शुल्हस्त गदापने वनमालासुकंधर । यज्ञ सूत्रधार ब्राह्मण दत्तात्रेय नमोस्तु ते।।14।।

मराठी अर्थ  – दत्तात्रेय जी, ज्यांच्या हातात शूज आणि गदा धारण केलेल्या, ज्यांच्या खांद्यावर वनमाला धारण केली आहेत, ज्याने पवित्र धागा धारण केला आहे अशा ब्राह्मणाच्या रूपातील तुम्हाला माझा नमस्कार असो.

क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च । दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोस्तु ते।१५।

मराठी अर्थ  – क्षर (नाशवंत जग) आणि अक्षर (अविनाशी देव) यांच्या रूपात सर्वव्यापी असलेले, सर्व गोष्टींच्या पलीकडे असलेले, स्तोत्राचे पठण केल्यावर त्वरित मोक्ष देणारे दतात्रेय जी तुम्हाला माझे नमस्कार.

दत्तविद्या लक्ष्मीश दत्तस्वात्मस्वरूपिणी । गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोस्तु ते।16।।

मराठी अर्थ  – सर्व ज्ञानाचे दाता, लक्ष्मीचे स्वामी, प्रसन्न होऊन केवळ स्वतःचे रूप देणारे, त्रिगुण आणि गुणांच्या पलीकडे निर्गुण अवस्थेत राहणारे, दत्तात्रेय जी तुम्हाला माझा नमस्कार असो.

शत्रुनाष्करं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञान दयाकम सर्वपापशम् याति दत्तात्रेय नमोस्तु ते ।

मराठी अर्थ  – हे स्तोत्र सर्व बाह्य आणि आंतरिक शत्रूंचा (वासना, क्रोध, मोहादी) नाश करणारे आहे, शास्त्रांचे ज्ञान आणि अनुभवजन्य आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते, सर्व पाप त्वरित नष्ट होतात. या स्तोत्राचे उपासक दत्तात्रेय जी तुम्हाला माझी साक्ष आहे.

इदं स्तोत्रं महादिव्यं दत्तप्रतिक्षाकारकम् । दत्तात्रेयप्रसादाच नारदेन प्रकीर्तितम्।।१८।।

मराठी अर्थ  – हे स्तोत्र अत्यंत दिव्य आहे. हे वाचून कोणीही दत्तात्रेयजींना प्रत्यक्ष पाहू शकतो.

दत्तात्रेयजींच्या कृपेने सामर्थ्य प्राप्त झालेल्या नारदजींनी त्याची रचना केली.

इति श्रीनारदपुराणें नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं संपूर्णम् ।


स्तोत्र विशेषत:

  • उत्कृष्ट वैशिष्ट्य: दत्तात्रेय स्तोत्र अत्यंत उत्कृष्ट आणि विशेष आहे. त्याच्या श्लोकांतील शब्दांची माहिती आणि भावना अत्यंत प्रभावी आहे.
  • पद्धती आणि भाषा: दत्तात्रेय स्तोत्र संस्कृत भाषेत आहे, परंतु त्याची संगतिपूर्ण सारखी सरलता आणि साध्यता जनांच्या आवडीच्या असते.
  • अर्थ: प्रत्येक श्लोकाचा विश्लेषण आणि त्याचा महत्त्व स्पष्ट करण्यास त्यातील अर्थाचा महत्त्व वाढतं. यात श्लोकांचा परिचय, अर्थ, आणि त्यांचे संदेश समजले जाते.

स्तोत्राचे अर्थ विश्लेषण:

  • प्रत्येक श्लोकाचा अर्थ समजून घेणे आवश्यक आहे.
  • श्लोकांचे संदेश आणि त्याच्या महत्त्वाची खासगी माहिती प्राप्त करणे आवश्यक आहे.

स्तोत्राचे महिमा:

  • स्तोत्र पठणाचे लाभ आणि त्याचे प्रभाव अत्यंत महत्त्वाचे आहे. यात शांतता, सुख, आणि आनंदाची अनुभूती मिळते.
  • दत्तात्रेय महाराजांच्या कृपेचा अनुभव कसा होतो, हे लोकांनी स्तोत्र पठणाच्या माध्यमातून अनुभवले आहे.

उपासना आणि साधना:

  • दत्तात्रेय स्तोत्राचे नित्य पाठ करणे आवश्यक आहे.
  • स्तोत्राच्या अर्थाची समजून घेण्यासाठी पुस्तके, वेबसाइट, किंवा गुरुंच्या मार्गदर्शनाचा वापर करावा.

समापन:

दत्तात्रेय महाराजांच्या कृपेची आशीर्वाद आपल्या जीवनात सुख, शांतता.

आणि समृद्धी घेऊन येऊन कायम राहावी अशी इच्छा.

स्तोत्राचे मार्गदर्शन आणि सहाय्य करत त्याच्या उपासनेत समर्थ होवू आणि स्तोत्राच्या महत्त्वाचे लाभ उठवू असे ही आशा.

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